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जनवरी, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

वंशीओ वंशी इतना बता, तूने कौन सा पुण्य किया है

Shri Krishna Bhajan Click here to watch this Bhajan on You tube वंशीओ वंशी इतना बता, तूने कौन सा पुण्य किया है खुश होकर कान्हा ने तुझको, हाथों में थाम लिया है वंशी बोलो न ओ वंशी बोलो ना...... 1.सोने चांदी की होती तो, क्या से क्या कर जाती बांस की होकर के मुरली तू, है इतना तड़पाती सब को बस में करने वाली, श्याम को बस में किया है खुश होकर कान्हा ने तुझको, हाथों में थाम लिया है बंशी बोलो ना ओ, वंशी बोलो ना 2.पीपल की छैया में कान्हा ,जब जब बंसी बजाए ता ता थैया ता ता थैया, राधा नाचने आए मुरली की धुन जिसने सुनी है, घायल वो तो हुआ है खुश होकर कान्हा ने तुझको, हाथों में थाम लिया है वंशी बोलो ना, ओ वंशी बोलो न.... 3. कितना मीठा बंसी बोले, सबके मन को भाए दुष्ट हो या सज्जन वो तो, नाचते-नाचते आए मुरली की धुन जिसने सुनी है, घायल वो तो हुआ है खुश होकर कान्हा ने तुझको हाथों में

खींचे खींचे रे दुशासन मेरो चीर, अरज सुनो गिरधारी

Dropadi Cheera Haran Prasang Click Here to watch this Bhajan on You tube खींचे खींचे रे दुशासन मेरो चीर, अरज सुनो गिरधारी 1. हस्तिनापुर में जाकर देखो ,महफिल हो गई भारी कौरव पांडव सभा बीच में , खड़ी द्रोपती नारी उनके नैनों से बरस रहो नीर, सुनो गिरधारी 2.पांचो पांडव ऐसे बैठे , जैसे अबला नारी द्रोपती अपने मन में सोचे , दुर्गति भाई हमारी नहीं है, नहीं है रे धरैया कोई धीर, अरज सुनो गिरधारी 3.बाद दिन याद करो कन्हैया ,उंगली कटी तुम्हारी दोनों हाथों पट्टी बांधी ,चीर के अपनी साड़ी आ गई आ गई रे, कन्हैया तेरी याद, अरज सुनो गिरधारी 4.राधा छोड़ी रुक्मण छोड़ी ,छोड़ी गरुण सवारी नंगे पैर कन्हैया आए, ऐसे प्रेम पुजारी बच गई बच गई ,द्रोपती जी की लाज ,अरज सुनो गिरधारी 5. खींचत चीर दुशासन हारो ,हार गयो बल धारी दुर्योधन की सभा बीच में ,चकित हुए नर-नारी बढ़ गयो बढ गयो रे, हजारों गज चीर, अरज सुनो गिरधारी 6.साड़ी हैं कि नारी है ,, कि नारी बीच साड़ी है नारी ही की साड़

संग वन को हमारे चलो ना सिया

Shri Ram Seeta Samvad Bhajan Click here to watch This Bhajan on You tube संग वन को चलो ना हमारे सिया, वहां कैसे (रमेगा) लगेगा तुम्हारा जिया 1.जंगल पहाड़ झाड़ियां तुम कैसे चलोगे, वह कंकरो का रास्ता तुम कैसे चलोगी, पड़ जाएंगे पैरों में छाले सिया संग वन को हमारे चलो ना सिया 2.रखती न पैर पलंग से उतार कर कभी मेहंदी महाबर हाथों का छूटा नहीं अभी आगे चलना ना पीछे पछताना सिया 3. खाने को मिले बनफल, वह भी कभी-कभी खाने पड़ेंगे कच्चे मीठे सभी सभी पानी झरने कब पीना पड़ेगा सिया 4 पत्ते बिछाकर भूमि पर सोया ना जाएगा, बोलेंगे शेर सिंधु डराया न जाएगा, रात होगी ना होगा दिया