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नवंबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

श्री कृष्ण भजन - मेरा दिल तुझ पे कुर्बान

श्री कृष्ण भजन   मुरलिया वाले रे, सांवरिया प्यारे रे,  मेरा दिल तुझपे कुर्बान मुरलिया वाले रे मुरलिया वाले रे, सांवरिया प्यारे रे,  अब तो हो जा मेहरबान मुरलिया वाले रे  1.देखी है जब से यह तस्वीर तेरी   तब से बदल गई है तकदीर मेरी,  मुरलिया वाले रे, सांवरिया प्यारे रे,  मेरा दिल बागबा हो मुरलिया वाले रे,  मुरलिया वाले रे सांवरिया प्यारे रे,  मेरा दिल तुझपे कुरबा मुरलिया वाले रे,....  2.मैं तो तेरा एक दीदार चाहूं , दीवाना तेरा , तेरा प्यार चाहूं मुरलिया वाले रे,  सांवरिया प्यारे रे मेरी दिल की तू दुनिया,  मुरलिया वाले रे ,मुरलिया वाले रे , सांवरिया प्यारे रे मेरा दिल तुझपे कुरबा  मुरलिया वाले रे..  3.चाहे कुछ भी कहे, ये जमाना,  पागल हुआ तेरा एक दीवाना,  मुरलिया वाले रे, सांवरिया प्यारे रे,  अब तो तू ही ही मेरी जान,  मुरलिया वाले रे, सांवरिया प्यारे रे,  मेरा दिल तुझपे कुरबा मुरलिया वाले रे....

शिव भजन - रूठे हैं भोले बाबा, गौरा मनाती हैं

रूठे हैं भोले बाबा, गौरा मनाती हैं 1.गोरा ने ले आई माथे की बिंदिया( पगड़ी) चंदा के लाने रूठे गोरा मनाती हैं रूठे हैं भोले बाबा गौरा मनाती हैं 2. गौरा ने ले आई कानों के कुंडल बिच्छू के लाने रूठे, गौरा मनाती हैं रूठे है भोले बाबा 3.गौरा ने ले आई गले का हरवा(माला) सर्पों के लाने रूठे गौरा मनाती हैं रुठे हैं भोले बाबा गौरा मनाती हैं 4.गौरा ने ले आई हाथों के कंगन (घड़ियां) डमरू के लाने रूठे गौरा, मनाती हैं रुठे हे भोले बाबा गौरा मनाती है 5.गौरा ने ले आए कमर का (धोती) मिरगछाला के लाने रूठे, गोरा मनाती हैं 6. गोरा ने ले आई पैरों की पेजन (जूते) खड़ाऊ के लाने रूठे गोरा मनाती हैं रूठे हैं भोले बाबा गौरा

तुलसी भजन - कार्तिक महीना नहाते, तुलसी तेरे चरणों में हम बस जाते

कार्तिक महीना नहाते, तुलसी तेरे चरणों में हम बस जाते 1.ब्रह्मा भी आते, विष्णु भी आते, शंकर जी डमरू बजाते तुलसी तेरे चरणों में हम बस जाते, कार्तिक महीना नहाते तुलसी तेरे चरणों में हम बस जाते 2.रामा भी आते ,लक्ष्मण भी आते, हनुमत जी चुटकी बजाते तुलसी तेरे चरणों में हम बस जाते कार्तिक महीना नहाते, तुलसी तेरे चरणों में हम बस जाते 3.गंगा भी जाते, यमुना भी जाते, सरजू में गोता लगाते तुलसी तेरे चरणों में हम बस जाते, कार्तिक महीना नहाते तुलसी तेरे चरणों में हम बस जाते, 4.राधा भी आती ,रुकमणी भी आती , कान्हा जी मुरली बजाते , तुलसी तेरे चरणों में हम बस जाते कार्तिक महीना नहाते, तुलसी तेरे चरणों में हम बस जाते 5.ढोलक बजाते ,मंजीरा बजाते , झूम झूम ठुमका लगाते तुलसी तेरे चरणों में हम बस जाते, कार्तिक महीना नहाते तुलसी तेरे चरणों में हम बस जाते

राम आ गए रथ में गरुड़ भगवान

राम आ गए रथ में गरुड़ भगवान, डूंडा नांदिया में आ गए हे भोलेनाथ 1. राम जी के माथे में मुकुट विराजे, विष्णु जी के माथे में मुकुट विराजे, चंदा विराज रहा भोले की माथ, डूंडा नादिया में आ गए है हे भोलेनाथ 2. राम जी के कानों में कुंडल बिराजे , विष्णु जी के कानों में कुंडल बिराजे, बिच्छू लटक रहे भोले के काम, डूंडा नांदिया में आ गए हे भोलेनाथ राम आ गए रथ में गरुड़ भगवान 3.राम जी की गली में मोतिन की माला , विष्णु जी के गले में मोती की माला, सर्फ बिराज रहा भोले के माथ डूंडा नांदिया में आ गए हैं भोलेनाथ 4. राम जी के हाथों में धनुष बाण सोहे, विष्णु जी के हाथों में शंख चक्र सोहे, त्रिशूल डमरू सो हे भोले के हाथ डूंडा नांदिया में आ गए हे भोलेनाथ 5. अवधपुरी से राम जी आए, बैकुंठपुर से विष्णु जी आए कैलाश से पर्वत से आ गए भोलेनाथ, डूंडा नांदिया में आ गए हे भोलेनाथ 6.राम जी के साथ में सीता जी आई, विष्णु जी के साथ में लक्ष्मी मैया आई, गोरा मैया आ गई भोले बाबा के साथ डूंडा नांदिया में आ गए हे भोलेनाथ

तुलसी भजन -ग्यारस में आंगन सजाएंगे तुलसी की शादी रचाएंगे

ग्यारस में आंगन सजाएंगे तुलसी की शादी रचाएंगे 1.हल्दी भी लाएंगे, चंदन भी लाएंगे , अपने हाथों से लगाएंगे , तुलसी की शादी रचाएंगे , ग्यारस में आंगन सजाएंगे 2. टीका भी लाएंगे, बिंदिया भी लाएंगे , अपने हाथों से पहनाएंगे तुलसी की शादी रचाएंगे . ग्यारस में आंगन में सजाएंगे 3. नथनी भी लाएंगे झुमका भी लाएंगे, अपने हाथों से पहनाएंगे तुलसी की शादी रचाएंगे, ग्यारस में आंगन सजाएंगे, 4.हरवा भी लाएंगे ,कंगना भी लाएंगे , अपने हाथों से पहना एंगे, . तुलसी की शादी रचाएंगे, ग्यारस में आंगन सजाएंगे तुलसी की शादी रचाएंगे 5.करधन भी लाएंगे, पायल भी लाएंगे , अपने हाथों से पहनाएंगे, तुलसी की शादी रचाएंगे, ग्यारस में आंगन सजाएंगे 6. लहंगा भी लाएंगे, चुनरी भी लाएंगे , अपने हाथों से पहनाएंगे तुलसी की शादी रचाएंगे , ग्यारस में आंगन सजाएंगे, 7.सब सखियां मिल मंगल गाएंगे, अमर सुहाग बर पायेंगे तुलसी की शादी रचाएंगे , आंगन ग्यारस में आंगन सजाएंगे तुलसी की शादी रचाएंगे 🌺🌺🌺

तुलसी भजन- तुलसी मैया की महिमा बड़ी, भोग में तुलसी लेते हरि

तुलसी मैया की महिमा बड़ी , भोग में तुलसी लेते  हरि 1.श्री ब्रह्मा की महिमा का क्या , जिसने दुनिया रचाई बड़ी , उनके संग में ब्रह्माणी खड़ी , भोग में तुलसी लेते हरि   तुलसी मैया की महिमा बड़ी 2.श्री विष्णु का कहना भी क्या , जग  का पालन करें हर घड़ी,  उनके संग में लक्ष्मी जी खड़ी,  भोग में तुलसी लेते हरि  तुलसी मैया की महिमा बड़ी 3. श्री शंकर की महिमा का क्या , राम जपते रहें हर घड़ी  उनके संग में गोरा जी खड़ी  भोग में तुलसी लेते हरी  तुलसी मैया की महिमा बड़ी  4.श्री कृष्णा की महिमा का क्या,  लीला इनकी बड़ी रस भरी  इनके संग में राधा जी खड़ी  भोग में तुलसी लेते हरी  तुलसी मैया की महिमा बड़ी  भोग में तुलसी लेते हरी  5.श्री रामा की महिमा का क्या ,उनने मारे हैं दैत्य सभी ,उनके संग में सीता जी खड़ी , भोग में तुलसी लेते हरि तुलसी मैया की महिमा बड़ी , भोग में तुलसी लेते हरि🙏🏻🙏🏻

श्री कृष्ण भजन - हम तुम्हारे तुम हमारे, बन गए हो सांवरे

हम तुम्हारे तुम हमारे,  बन गए हो सांवरे जान से प्यारे हमें,  लगने लगे हो सांवरे हम तुम्हारे तुम हमारे,  बन गए हो सांवरे 1)जब से देखा है तुम्हें,  दिल को कोई जंचता नहीं  लाख समझाया इसे  पर दिल तेरे बिन लगता नहीं  इस कदर रग रग में मेरी,  बस गए हो सांवरे हम तुम्हारे तुम हमारे बन गये हो सांवरे जान से प्यारे हमें  लगने लगे हो सांवरे 2. बिन तुम्हारे इस जहां में,  और कोई भाता नहीं  बिन तुम्हें देखे कन्हैया चैन अब आता नहीं,  जाने कैसा जादू मुझ पर  कर गए हो सांवरे हम तुम्हारे तुम हमारे  बन गए हो सांवरे  3.लग गई जो प्रीत दिल की अब छुड़ाए छूटे ना, बांधी ऐसी प्रीत तुम संग,  अब कभी  ये टूटे ना ऐसे मन मंदिर में मेरे  बस गए हो सांवरे  हम तुम्हारे तुम हमारे बन गए हो सांवरे जान से प्यारे हमें,  लगने लगे हो सांवरे

सती अनुसूया की कथा -करवा चौथ स्पेशल

सती अनुसूया की कथा  एक बार नारदजी विचरण कर रहे थे त ब  तीनों देवियां मां लक्ष्मी, मां सरस्वती और मां पार्वती को परस्पर विमर्श करते देखा। तीनों देवियां अपने सतीत्व और पवित्रता की चर्चा कर रही थी। नारद जी उनके पास पहुंचे और उन्हें अत्रि महामुनि की पत्नी अनुसूया के असाधारण पातिव्रत्य के बारे में बताया। नारद जी बोले उनके समान पवित्र और पतिव्रता तीनों लोकों में नहीं है। तीनों देवियों को मन में अनुसूया के प्रति ईर्ष्या होने लगी। तीनों देवियों ने सती अनसूया के पातिव्रत्य को खंडित के लिए अपने पतियों को कहा तीनों ने उन्हें बहुत समझाया पर पर वे राजी नहीं हुई।     इ स विशेष आग्रह पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने सती अनसूया के सतित्व और ब्रह्मशक्ति परखने की सोची। जब अत्रि ऋषि आश्रम से कहीं बाहर गए थे तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ने यतियों का भेष धारण किया और अत्रि ऋषि के आश्रम में पहुंचे तथा भिक्षा मांगने लगे।    अतिथि-सत्कार की परंपरा के चलते सती अनुसूया ने त्रिमूर्तियों का उचित रूप से स्वागत कर उन्हें खाने के लिए निमंत्रित किया।    लेकिन यतियों के भेष में त्रिमूर्तियों ने एक स्वर में कहा, ‘हे स

करवा चौथ भजन - सेवा करो पति प्राण की

चाहे करियो ना पूजा भगवान की,  सेवा करो पति प्राण की,  1) एक सती ने सत्य दिखाया,  त्रिदेवों को पुत्र बनाया,  नग्न ( निर्वस्त्र) होकर भोजन कराया,  सती जान गई लीला भगवान की,  सेवा करो पति प्राण की 2 एक सती मायके में आई,   पति अपमान सह नहीं पायी,  अग्निकुंड में जल गई भाई,  लाज राखी है धर्म और ईमान की सेवा करो पति प्राण की,  3 एक सती की गाथा गाई,  यम से मौत मांग ले आई,  तीनो लोक में जय-जय छाई  लेख मेटी है, अब तो भगवान की,  सेवा करो पति प्राण की..  4 एक सती ऐसी सुन भाई,  जिसके पांच पति है भाई,  कैसे-कैसे धर्म निभाई,  मर्यादा बनायी अपन आन की,  सेवा करो पति प्राण की