गौरा तीजा रही उपासी
गौरा तीजा रही उपासी,
शिव को पति बनाने को
शिव को पति बनाने को ,
शिव को पति बनाने को ,
गौरा तीजा रही उपासी
शिव को पति बनाने को
वो गंगा जी को जाती,
गंगा से जल ले आती
वो तो भोले को नहाती
अपना पति बनाने को
वो जंगल जंगल जाती
वो बेल के पाती लाती
वो भोले को है चढ़ाये
अपना पति बनाने को
गौरा तीजा रही उपासी
शिव को पति बनाने को
वो बाग बगीचे जाती
चुन-चुन कर फुलवा लाती
वो तो भोले को है सजाती
अपना पति बनाने को
गोरा की जा रही उपासी
शिव को पति बनाने को
वो गौशाला को जाती
वह दूध दही ले आती
वो शिव अभिषेक कराती
अपना पति बनाने को
गौरा तीजा रही उपासी
शिव को पति बनाने को
वो झांझ मंजीरे लाती ,
झूम झूम के आरती गाती
वह धूप कपूर जलाती,
शिव को पति बनाने को
अपना पति बनाने को
गौरा तीजा रही उपासी
शिव को पति बनाने को
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