चेतावनी भजन
घर की धंधों में दिन-रात उलझे हुए, जिंदगी तेरी यू ही गुजर जाएगी राम का नाम सुमिरन किए ही बिना एक दिन तेरी अर्थी निकल जाएगी 1.झूठ छल और कपट से तू धन जोड़कर, पाप ही की कमाई में लिपटा हे तु, ये बता फिर ये दौलत हे किसकी हुई आज ये है इधर कल उधर जाएगी घर के धंधों में दिन रात उलझे हुए.. 2.आज कहता है कि कल करेंगे भजन कल जो आया तो परसों मैं जाता है टल मौत से भी कहेगा क्या आना तू कल मौत कल के लिए क्या ठहर जाएगी घर के धंधों में दिन रात उलझे हुए ज़िंदगी तेरी यूं ही गुजर जाएगी 3 .ऊंचे ऊंचे मकान ऊंचे ऊंचे महल धर्मशाला है यह 4 दिन के लिए एक दिन तो चिता पर बसेरा तेरा राख बन के ये काया निकल जाएगी घर के धंधों में दिन-रात उलझे हुए 4.जब आई जवानी तो छाया नशा कहता मेरे मुकाबिल में कोई नहीं चांद सूरज से टक्कर अगर हो गई यह नशे की खुमारी उतर जाएगी घर के धंधों में दिन रात उलझे हुए जिंदगी तेरी यूं ही गुजर जाएगी
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