सत्संग भजन ||
सत्संग की नदिया ,
अगम बही जाए ,
उसमें सब कोई नहाए,
हरे रामा, उसमें सब कोई नहाए,
हरे रामा
1.ब्रह्मा नहाए ,विष्णु नहाए ,
शंकर नहाए तो डमरू बजाए,
उसमें सब कोई नहाए ,
हरे रामा ,सत्संग की नदियां.......
2.रामा नहाए, लक्ष्मण नहाऐ,,
हनुमत नहाए ,तो चुटकी बजाएं..
उसमें सब कोई नहाए ,
हरे रामा ,सत्संग की नदिया
3. गोपी नहाए, ग्वाले नहाए,
कान्हा नहाये ,तो मुरलिया बजाय,
उसमें सब कोई नहाए ,
हरे रामा, सत्संग की नदिया |
4.तुलसी नहाए, बाल्मीकि नहाए,
नारद नहाए तो वीणा बजाय ,
उसमें हर कोई नहाए,
हरे रामा ,सत्संग की नदिया....
5.राधा नहाए, रुक्मणी भी नहाए ,
मीरा नहाऐ, खड़ताल
बजाय ,
उसमें सब कोई नहाए,
हरे रामा ,सत्संग की नदिया
6.ढोलक नहाए ,मंजीरा नहाए ,
सखियाँ नहाए तो ताली
बजाए ,
उसमें सब कोई नहाए,
हरे रामा ,सत्संग की नदियां
7. हम भी नहा ले ,तुम भी नहा लो,
सब कोई नहा लो तो
सब तर जाए ,
उसमें सब कोई नहाए ,
हरे रामा
सत्संग की नदिया,
अगम बही जाए
उसमें सब कोई नहाए
हरे रामा
बही जाए उसमें सब कोई नहाए
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