भक्त श्रवण कुमार कथा
सुघर नार श्रवण की
सुघर नार श्रवण की,
मैया मोरी सुघर नार श्रवण की,
1) एक दिन गई नारी कुम्हरा घर,
हंडी बनाईयो जतन की,
मैया मोरी सुघर नार श्रवण की,
2) एक हंडी दो खंड बनाईयो,
देहों रकम जतन की,
मैया मोरी सुघर नार श्रवण की
3) हंडी ले नारी घर में आयी
एक हंडी दो खंड की,
मैया मोरी सुघर नार श्रवण की
4) एक में खट्टी महेरी रांधी( बनाई ) ,
एक मे खीर जतन की,
मैया मोरी सुघर नार श्रवण की
5) थाल परोस दो लाई नारी,
खीर महेरी एक रंग की,
मैया मोरी सुघर नार श्रवण की
6) खात महेरी अंधा बोले,
बात कहों बेटा मन की,
मैया मोरी सुघर नार श्रवण की
7) नौ लाख गाएं घर में बंधी है
खीर ना खाई जतन की,
मैया मोरी सुघर नार श्रवण की
8)अपनी थाल पिता को दीनही,
चखी है महेरी नित (रोज के) छल की,
मैया मोरी सुघर नार श्रवण की,
9) बांस कटाये कांवर बनाये,
त्यागी है नारी छल की,
मैया मोरी सुघर नार श्रवण की
10) माता पिता उसमे बैठाये,
राह पकड़ ली तीरथ की,
मैया मोरी सुघर नार श्रवण की
11) सुमर सुमर श्रवण जस गाये,
गीता गीत माला जस हैं बनाये,
लाज रखो भक्तन की,
मैया मोरी सुघर नार श्रवण की
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